मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार को बड़ा झटका लगा जब बीजेपी के तीन विधायकों ने इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया इसके अलावा सत्तारूढ़ दल नेशनल पीपल्स पार्टी के 4 विधायकों ने मंत्री पद छोड़ दिया इसके साथ ही 1 टीएमसी विधायक और एक निर्दलीय विधायक ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया ऐसे में बीजेपी सरकार खतरे में आ गई है.
मणिपुर में एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद सियासी बवाल जारी है. ऐसे में मेघालय में बीजेपी के समर्थन से चल रही एनपीपी सरकार पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. हालांकि, एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा ने गुरुवार को कहा है कि मणिपुर की राजनीतिक स्थिति का मेघालय में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
● मणिपुर में बीजेपी सरकार पर छाया संकट
● मेघालय में एनपीपी को बीजेपी का समर्थन
मेघालय का समीकरण
मेघालय के 2018 विधानसभा चुनाव में किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. प्रदेश की कुल 60 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 21 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी. एनपीपी 19 सीट के साथ दूसरे नंबर थी. बीजेपी को दो सीटें मिली थी जबकि, यूडीपी के पास छह विधायक सहित अन्य को 17 सीटें हैं.
कोनराड संगमा एनपीपी के 19 विधायकों, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के छह, पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) के चार, हिल स्टेट पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) और बीजेपी के दो-दो एवं एक निर्दलीय विधायक सहित कुल 34 विधायकों के समर्थन के साथ सरकार बनाने में सफल रहे. वहीं, कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सत्ता से दूर हो गई थी.
मणिपुर में विधायकों के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया अफवाहों का बाजार गर्म हो गया और खबरें उड़ने लगे कि हरियाणा के कुछ विधायक कांग्रेस के संपर्क में है देखें कुछ Tweet और फेसबुक पर किए गए पोस्ट.


हालांकि यह खबरें सिर्फ सोशल मीडिया पर चल रही है ना ही बीजेपी के तरफ से और ना ही कांग्रेस के तरफ से ऐसा कोई बयान आया है जिसमें कहा गया हो कि बीजेपी के विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं.