हाथरस गैंगरेप में जिस प्रकार से हाथरस पुलिस का इस मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है. उसकी भूमिका साफ साफ देखी जा सकती है. पहले रेप पीड़िता का FIR ना लिखना फिर उसके बाद परिवार को इस मामले में चुप रहने का दबाव बनाया जाना यही दर्शाता है.
जबकि रेप पीड़िता ने मरने से पहले अपने बयान में खुद कहा कि उसके साथ चार युवकों ने गैंग रेप किया. उसके बाद उसके जीभ काटे, रीड की हड्डी तोड़ी. इसके बावजूद भी हाथरस पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं किया।
वही रेप पीड़िता का स्थिति बिगड़ने के कारण उसकी मौत हो गई जिसके बाद इस मामले को दबाने के लिए बिना परिवार की इजाजत रेप पीड़िता का शव हाथरस पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर उसका दाह संस्कार करके लगभग सारे सबूतों पर विराम लगा दिया.
परिवार के काफी विरोध के बाद भी पुलिस वालों ने परिवार को अंतिम बार अपने बेटी का चेहरा भी नहीं देखने दिया और ना ही उसका अंतिम संस्कार करने का मौका दिया बल्कि रात के अंधेरे में पीड़िता के शव को खुद ही जला दिया.
रेप पीड़िता के परिवार वालों ने हाथरस के डीएम पर दबाव बनाने का आरोप लगाया, साथ ही हाथरस के डीएम परिवार वालों को यह कहकर धमकाते हुए नजर आए की मीडिया वाले आज है कल नहीं रहेंगे. ऐसे में उनके परिवार वालों को हमारे साथ ही रहना है इसीलिए वह अपना बयान बार बार ना बदले।
पीड़िता का दाह संस्कार करके सारे सबूतों पर विराम लगा देने के बाद हाथरस डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार और सफदरजंग अस्पताल प्रशासन का कहना है पीड़िता का जीभ नहीं काटा गया था. वहीं अब तीन चरणों की फॉरेंसिक जांच के बाद युवती के साथ हुए दुष्कर्म को भी नकार दिया है।
दरअसल जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ की रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं होने के बाद पुलिस ने सभी साक्ष्य 22 सितंबर को आगरा फॉरेंसिक लैब भेजे थे. व पांच विज्ञानियों की टीम बनाई गई थी. वहीं अब पुलिस का कहना है कि दुष्कर्म की पुष्टि ना होने के कारण अब आरोपियों के खिलाफ हत्या के धारा के तहत कार्रवाई करेगी.
एडीजी अजय आनंद ने इसकी पुष्टि की. मंगलवार को पुलिस महानिरीक्षक अलीगढ़ रेंज पीयूष मीडिया में भी बताया था कि मेडिकल परीक्षण में युवती के साथ दुष्कर्म की पुष्टि ना होने पर कपड़े आदि को फॉरेंसिक जांच के आगरा भेज दिया गया.