यूपी में गाय-भैंस का बनेगा आधार कार्ड, सभी गायों और भैसों का मार्च 2021 तक होगा आधार कार्ड

अब गाय और भैंस का भी आधार कार्ड होगा। देशभर की हर गाय व भैंस के लिए यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर जारी होगा। इसके लिए इन 8.8 करोड़ मवेशियों के कान में 8 ग्राम के वजन वाला टैग लगाया जाएगा। इसी टैग पर 12 अंकों का आधार नंबर चिपका होगा।

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उत्तर प्रदेश में मार्च 2021 तक करीब 5.2 करोड़ गायों और भैसों को जिओ टैग किया जाएगा यानी गाय भैंस की लोकेशन आसानी से देखी जा सकेगी। यूपी में 1.3 करोड़ पशुओं को पहले ही जिओ टैग किया जा चुका है। इन पशुओं में 66 लाख गाय और 67 लाख भैंस शामिल है। 

पशुपालन विभाग के अनुसार, सभी गायों और भैसों का मार्च 2021 तक 12 डिजिट का आधार कार्ड होगा। उत्तर प्रदेश ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य होगा। इससे न केवल गोकशी रुकेगी, बल्कि पशुओं का अवैध ट्रांसपोर्टेशन भी रुकेगा। सभी पशुओं की पहचान उसकी उम्र, लंबाई, स्वामित्व, नस्ल इत्यादि से होगी। यहां तक की आवारा पशुओं की भी जिओ टैगिंग की जाएगी। अगर कोई मालिक पशु की देखभाल बंद कर देता है, तो जिओ टैग के सहारे उसे ढ़ंढा जा सकेगा और उक्त व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

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हालांकि केंद्र सरकार ने इस आधार नंबर को जारी करने के पहले ही निर्देश दे दिए थे। गाय व भैंसों की हत्या रोकने, उनकी बीमारियों का समय रहते इलाज करने और उनकी देखभाल के चलते आधार नंबर देने का फैसला लिया गया है। इस काम को इसी साल पूरा करने के लिए सभी राज्यों के लिए मासिक लक्ष्य तय किए गए हैं।

उत्तर प्रदेश को हर महीने 14 लाख गाय व भैंसों पर टैग लगाने हैं, जबकि मध्य प्रदेश के लिए लक्ष्य 7.5 लाख है। इस काम के लिए लगभग एक लाख टेक्निशियंस को लगाया गया है। देश में लगभग 8.8 करोड़ मवेशी हैं। इनमें 4.1 करोड़ भैंस और 4.7 करोड़ गाय शामिल हैं।

पीले रंग का जिओटैग

पशुओं पर पीले रंग का जिओटैग लगाया जाएगा, जिसमें पशुओं के लोकेशन को ट्रैक करने के लिए एक रेडियो चिप लगा होगा। इससे आवारा पशुओं द्वारा फसलों की हानि पर भी नजर रखी जा सकेगी, क्योंकि जिओ टैग के बाद आवारा पशुओं के मालिक को खोजा जा सकेगा। इसके बाद उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

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हटाया नही जा सकेगा टैग –


टैग लगाने व आधार नंबर जारी करने का काम आसान नहीं होगा। पीले रंग का यह टैग दो टुकड़ों में होता है। इसे मवेशी के कान के बीच एक टूल की मदद से लगाना होगा। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि एक टैग की कीमत आठ रुपये है।

इसका वजन केवल आठ ग्राम है, जिससे पशुओं को ज्यादा परेशानी नहीं होगी। टैग टैंपर प्रूफ है। इसे दोबारा खोलना संभव नहीं है। टैग पर 12 डिजिटल के यूनीक नंबर से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दो पशुओं के लिए समान नंबर न हो।

इससे क्या होगा फायदा –

इस प्रयास का उद्दश्य गायों और भैसों के नस्ल को उन्नत करना और दूध देने की क्षमता को बेहतर करना है। साथ ही खोये पशुओं को इसके सहारे अब आसानी से खोजा जा सकता है।किसानों को भी आवारा पशुओं को रखने के लिए जगह देकर गौपालक बनने का अवसर प्राप्त होगा।

सरकार डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांस्फर के जरिए गौपालकों को प्रतिमाह प्रत्यके गायों के लिए 900 रुपये मुहैया कराएगी। गौपालक दूध, गौमूत्र और गोबर बेचकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करेंगे। 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस योजना से गाय व भैंसों को समय पर जरूरी टीके लगाए जा सकेंगे। बेहतर ब्रीडिंग और मिल्क प्रॉडक्शन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। दरअसल, इस योजना के तहत साल 2022 तक डेयरी किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।

बता दें कि मवेशियों की संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। राज्य में इनकी संख्या 1.6 करोड़ है। इसके बाद मध्य प्रदेश (90 लाख), राजस्थान (84 लाख), गुजरात (62 लाख) और आंध्र प्रदेश (54 लाख) का नंबर आता है।

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