ऐसे समय में जब चीन लगातार अपने कार्य पूर्ण हरकतों से चीन लद्दाख बॉर्डर पर अपने विस्तारवादी नीति को लेकर बढ़ रहा है, और एलएसी पर लगातार चीन और भारत के बीच संघर्ष जारी है. ऐसे समय में आई सेना की इंटरनल रिपोर्ट ने कई सवाल खड़े कर दिए.

इस रिपोर्ट में सेना के तरफ से यह दावा किया गया है कि पिछले 6 सालों सरकारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड से 960 करोड रुपए का खराब गोला बारूद खरीदा गया, सेना ने यह भी बताया कि इतने में उन्हें 100 आर्टिलरी गन मिल सकती थी। सेना ने रिपोर्ट को गृह मंत्रालय को सौंप दी है।

आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड दुनिया की सबसे पुरानी सरकारी ऑर्डिनेंस प्रोडक्शन यूनिट में से एक है, इसी के तहत ही सेना के लिए गोला बारूद बनाया जाता हैं , जिसके बनाए गए प्रोडक्ट में सेना ने खामियां पाई है. उन खराब प्रोडक्टों में 23mm के एयर डिफेंस सेल, आर्टिलरी सेल, 125mm टैंक राउंड समेत अलग-अलग कैलिबर की बुलेट्स शामिल है।

सेना के नोट में कहा गया है कि साल 2014 और 2020 के बीच ओएफबी द्वारा दिए गए गोला-बारूद और आयुध के चलते हुई दुर्घटनाओं में 159 सैनिक घायल हुए. कहा गया है कि ‘लगातार दुर्घटनाओं में जवाबदेही की कमी और उत्पादन की खराब गुणवत्ता के कारण सैनिकों घायल होते हैं और कई की मौत भी हो जाती है. औसतन, प्रति सप्ताह एक दुर्घटना होती है।

हालांकि सेना ने अब अपनी रिपोर्ट को रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया आपको बता दें कि इन घटनाओं के कारण अब तक 27 सेना के जवानों की जान जा चुकी है जबकि इसी साल इसी तरह की अब तक 13 घटनाएं हो चुकी हैं।

साल 2014 से अब तक इन गोले बारूदों की वजह से 403 हादसे हुए हैं। लगभह हर हफ़्ता कहीं न कहीं हादसा हुआ है। लेकिन अधिक चिंता की बात इन हादसों में हुई मौतों की है। साल 2014 से अब तक इन हादसों में 27 सैनिक मारे जा चुके हैं, 159 सैनिक घायल हुए हैं।

सरकार ने कई बार कोशिश की है कि ओएफ़बी का कारपोरेटरीकरण किया जाए, यानी उसका मैनेजमेंट बदला जाए, उसका आंशिक ही सही निजीकरण हो, पर यह हो नहीं पाया है। इन कंपनियों के कर्मचारियों ने इसका विरोध किया है।

960 करोड़ रुपये की खरीद में 658 करोड़ रुपये का खर्च 2014-2019 के बीच हुआ था. बाकी 303 करोड़ रुपये तक कीमत वाली माइन्स को महाराष्ट्र में लगी आग के बाद खत्म किया गया.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here