तमिलनाडु : प्रधानमंत्री तो ये कहते थे है कि ना खाऊंगा ना खाने दूंगा लेकिन यहां तो उनकी सत्ता में बैठकर अधिकारियों ने पीएम की ही योजना में सेंध मार ली. पीएम किसान योजना में किसान योजना में 110 करोड़ का घोटाला सामने आया है जिसका खुलासा होने के बाद 80 कर्मचारियों को बर्खास्त और 34 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है.

सरकार गरीबों और वंचित वर्ग के लिए योजनाएं बनाती है लेकिन उस योजना का फायदा सत्ता में ही बैठे कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से आम जनता तक नहीं पहुंच पाता है. यह मामला है तमिलनाडु का जहां किसानों के लाभ के लिए बनाई गई पीएम किसान योजना में धोखाधड़ी करके 110 करोड़ से ज्यादा ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए निकालने लिए गए और इसके पीछे सरकारी अधिकारियों और स्थानीय राजनेताओं का हाथ है.

फिलहाल मामले की जांच चल रही है और 80 कर्मचारी बर्खास्त और 34 निलंबित किए गए हैं. तमिलनाडु के प्रमुख सचिव गगनदीप सिंह वेदी ने बताया कि अगस्त में कई लोगों को इस योजना में जोड़ा गया था. जांच में पाया गया कि एग्रीकल्चर विभाग के अधिकारियों ने ऑनलाइन आवेदन अनुमोदन प्रणाली का उपयोग किया था. इसमें कई लाभार्थियों को अवैध रूप से जुड़ा था.

मोड्स ऑफ रेंडी में सरकारी अधिकारी शामिल थे जो नई लाभार्थियों में जुड़ने वाले दलालों को लॉगिन और पासवर्ड प्रदान करते थे. उन्हें ₹2000 दिए जाते थे सूत्रों के मुताबिक 110 करोड़ रुपए में से अब तक 32 करोड़ की वसूली हो चुकी है वहीं तमिलनाडु सरकार का दावा है कि बाकी पैसे अगले 40 दिनों के भीतर वापस आ जाएंगे

दरअसल मार्च 2020 में पीएम किसान योजना के लाभार्थियों की संख्या 39 लाख थी जो अचानक अगस्त 2020 में लाभार्थियों की संख्या 45 लाख हो गई. इस मामले में 18 एजेंटों को गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि 34 अधिकारियों को निलंबित किया गया है और किसानों से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़े 80 अधिकारियों को हटा दिया गया है. जिसमें कृषि विभाग के 3 असिस्टेंट डायरेक्टर भी शामिल है.

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